Saturday, April 13, 2013

फेसबुकिए सामाजिक


एक साहब थे ! चूँकि परिवार के अधिकतर सदस्यों से उम्र में बड़े थे और बोलते वक़्त किसी की नहीं सुनते थे इसलिए घर के लोग उनकी सुन लेते थे।छोटे मोटे ब्लॉग लिखकर अपने आप को बड़ा साहित्यकार समझते थे,जब भी मौका मिलता अर्ध ज्ञान धारा प्रवाहित करने से नहीं चूकते थे।फेसबुक में उनके वंशवृक्ष को देखकर यही परिलक्षित होता था कि इतने वृहद् परिवार में बड़े आत्मीय व्यक्ति हैं।जब भी कोई रिश्तेदार ऑनलाइन मिलता उसे खरी खोटी सुनाते कि तुम हमें ऑनलाइन देखकर भी पहले से शिष्टाचार नहीं करते हो...बदतमीज़ हो गये हो,२  ४ लाइक्स और कमेंट मिल जाने से घमंड आ गया है।मात्र २ ० ० फ्रेंड्स हैं और अपने आपको बड़ा सोशिअल समझते हो, हमारे हज़ार से ऊपर हैं तब भी हम विनम्र रहते हैं।तुम तो न किसी का स्टेटस लाइक करते हो न कमेन्ट  करते हो .....तो कोई तुम्हारे में क्यों करेगा भला ??बहुत अकड़ आ गई है। ..................
धीरे धीरे सारे रिश्तेदारों ने उन्हें ऑफलाइन कर दिया। इससे व्यथित होकर अब वह फेसबुक पर ही केक,पटाखों,फूल मालाओं में टैग करके त्यौहार मनाते  हैं .........उस पर आये कमेंट्स और लाइक्स से सामाजिक होने का दंभ भरते हैं।
बड़ी मज़बूरी में किसी शाम उन्हें एक समारोह में जाना पड़ा .......इनके सभी रिश्तेदार जो इनकी नजरों में अनसोशिअल थे वहां मौजूद लोगों से गप्पे लड़ा रहे थे और इन्हें कोई दुआ सलाम करने वाला भी नहीं मिल रहा था।जैसे तैसे इन्होंने कुछ देर रुकने की रस्म अदा की और लोगों की नज़रों से बचते हुए निकल लिए वापस अपने फेसबुक के तथाकथित सामाजिक जीवन में।

Friday, January 25, 2013

चेतन भगत और भैया जी

"अबे इ चेतन भगत कौन सा लेखक है ?" "भैया बड़ा लेखक है आजकल।का हुआ ? "अरे ट्रेन में कुछ रंगरूटों के साथ आना हो गया,इसिच्च का बात करते रहे पूरा टाइम!अउ पूरा किताब का नाम गिनती पे है वन,टू ,थ्री,फाइव और एक था 2020.!!" "भैया रिवोल्युशनरी 2020।" "हाँ वही, 2020 सुन के हमको लगा कि कलाम साहेब के साथ टियुनिंग है पर नहीं, बोले लव स्टोरी में थोड़ा भ्रष्टाचार है और कि रोलिंग के बाद यही सबसे फेमस है।" "भैया रोलिंग तो हम समझ गये पॉटर वाली।" "वो हमको पता है,हनुमान जी की माँ का नाम पूछें अभी तो नहीं पता होगा .....पर पॉटर का पूरा खानदान याद होगा।" "भैया आइआइटी और आइआइएम से पढ़ा है,बड़े बड़े नेताओं को अखबारों में खुले पत्र लिखता है।" "जब लिखना ही था तो एम ए कर लेता,सरकार का पैसा बर्बाद किया आइआइटी में।" "नहीं भैया आप समझे नहीं,बड़ी हस्ती है,बहुत लोग फॉलो करते हैं ट्विटर और फेसबुक पर उसे।हर मुद्दे पर प्रतिकिया देता है और सुझाव देता है।" "अच्छा ?" "रुकिए भैया जी एक मिनट! अरे रामदीन! वो पुराने अख़बारों से चेतन भगत का लेख छाँट के भैया के घर पँहुचा आना ज़रा।" "जी भैया।"
दो चार दिनों बाद तालाब किनारे-
"पढ़े का भैया चेतन भगत का लिखा हुआ ??" "अरे हाँ !! सिर्फ आदर्शवादी बात लिखता है,असलियत से कोई लेना देना नहीं! इसके लिए आइआइटी के पढ़ाई की का जरुरत? पीपल के नीचे हुक्का गुड़गुड़ाते रामखेलावन के पास इससे ज्यादा अच्छे सुझाव हैं,पर कभी अपनी जगह से हिले तब न।" "बात तो सही कह रहे हैं!! भैया,उ गोंदाबाई का बी पी एल कार्ड बनवाना था।" "चलो अभी हमरे साथ,सचिव के पास जा ही रहे हैं अउ तीन लोगों का काम निपटवाना है।"

भैया जी जैसे आदमियों से ही देश चल रहा है